Panchatantra Short Moral Stories in Hindi
चालक बकरी
" वह क्या तजा ताजा मंगसा हे। कास ये परसो मिला होता "
क्यू?
क्यू! की परसो मेरा बर्थडे था न। पार्टी और रंगीन होती।
"कोई बात नहीं बे लाटेड हैप्पी बर्थडे"
तभी उसकी माँ बकरी वह पोहोच जाती हे।
"लगता हे हमारा बिलेटेड बर्थडे पार्टी वरवाइटेड पार्टी होने वाली हे।
" हां १ किलो के सात ४ किलो फ्री।
बकरी कहती हे " हम्म्म बस बस ! ज्यादा हसो मत वरना शेर राजा आकर तुम्हे खा जायेगा. "शेर राजा..? क्यू तुम्हे क्या लगता है, में इसे यहाँ अकेले छोड़कर क्यू गयी थी..?
क्यू की शेर राजा ने हुकुम दिअ था, में अपने बच्चे को ल;एकर यहाँ से न हिलू,
जब तक कि शेर राजा नमा आ जाये.
और अगर उनके शिबा तुम लोगो ने इसे या मुझे खा लियातो शेर राजा तुम चारों
को जिंदा खा जायेंगे. पर शेर राजा को पता कैसे चलेगा कि तुम्हे हमने खाया..?
" तुम क्या शेर राजा को बेवकूफ समझते हो, जंगल के राजा हे वो. वो देखो हठी
महाराज को हम पर नजर रखने के लिए यहाँ छोड़ कर गये हे
अब तुम चारों चाहो तो हम दोनों को खा सकते हो".
ये सुनकर चारो ह्यनस टेंशन में आ जाते हे. और आपस में कहते हे
" हां यार , हाथी राजा तो हमारे बारे में बता कर ही रहेंगे.
तो क्या करे ...? भाई... जान बची तो लाखो पाये. शेर के मुँह से निबला चिन्ना
खुद शेर का निबला बन्ने जेसा हे.
चलो चलते है कहते हुए चारो ह्यनस वहा से चले जाते हे ...
फिर बकरी अपने बच्चे को लेकर गओ की तरफ भागती है. और सीधा अपने
मालिक के घर पहुँच जाती हे.
और इसी तरह चालाक बकरी अपने बेटे को जंगल से बचा के लती है.
Panchatantra Short Moral Stories in Hindi || Best of Panchatantra Stories
सोने की चिड़िया
एक बार एक पहाड़ की छोटी पर एक बिषाl ब्रिक्ष्य पर एक सिन्धुका नाम का एक बिशेस पक्षी रहता था. उस पक्षयी ली खासियत यह थी के जब उसकी बून्द धरती पर गिरती थी तो वह सुद्ध सोने में बदल जाती थी। वह इस पेड़ पर अकेला रहता था और शांति से वह अपना जीवन ब्यतीत कर खुस था।
एक दिन एक शिकारी पक्षियों के तलाश में पहाड़ के छोटी पर घूम रहा था. कई घंटो के बाद जब वे किसी पक्षयी को पकडनेमे शाक्ष्याम नहीं था। तोह उसने बिशाल पेड़ के निचे आराम करने का फेशला किआ। जिस पर सिन्धुका रहता था। बस जब शिकारी सोने लगा ही था तब पक्षयी ने अचानक पेड़ के ऊपर से अपनी बून्द गिरा दिए
और वह धरती पर गिरते ही सोने में बदल गयी।
शिकारी के चेहरे के ठीक बगल में सोने का टुकड़ा गिरा और जब उसने देखा तो उसने चिड़िया की और देखा। फिर से एक और टुकड़ा गिर गया और इसबार शिकारी ने जमीं पर इसे सोने में बदलते देखा। इस सब ने शिकारी को बोहोत हैरान कर दिए था। शिकारी सोचने लगा... में कई बरसो से पक्षियों को पकड़ रहा हु लेकिन कभी भी ऐसा ऐसा पक्षी नहीं देखा। या यह तक की ऐसे पक्षी के बारे में सुना भी नहीं जिनकी बूँद सोने में बदल जाती हे। एहि निश्चित रूप से कोई बिशेस पक्षी हे जिसे मुझे पकड़ना हे।
दुःख की बात यहाँ थी के जब शिकारी ने ऐसा सोचा तो सिन्धुका को उसके बारे में पता नहीं था। वे अपने पेड़ पर आराम कर रहा था और शिकारी योजना बना रहा था सीकरी ने पेड़ पर एक जाल बोहोत सावधानी से बिछा दिया। जब पक्षी ध्यान नहीं दे रहा था और अंता में जाल में फंस गया। जब पक्षी जल में फंस गया तो सीकरी ने उसे एक पिंजरे में दाल दिया। और घर की और जाने लगा।
उसी समय सिन्धुका ने सोचा की जाल पर ध्यान ना देने के लिए वह कितना लपरवाफ था और इसी कारन वह बेचारा पकड़ा गया। अपने घर जाते वक़्त सीकरी ने सोचा अगर में इस पक्षी को रखूँगा तो में आमिर बन जाऊंगा और सभी को संदेह होगा के कुछ तो गड़बड़ हे।
किसी दिन किसी को पक्षी की सच्चाई पता चलेगी और फिर वे राजा को पक्षी के बारे में बताएँगे फिर मुझे इसे राजा को देना होगा। लेकिन अगर में पक्षी को सीधे ही राजा के सामने पेश करदु तो वह मुझे इस पक्षी के बदले कुछ कीमती चीज देंगे यह मेरे लिए बेहतर काम करेगा। में अपना सेष जीवन राजा की दी हुई बस्तु की सहारे बिता सकता हु। योजना के अनुसार वह सीधा राजा के महल में गया. और राजा को सारि बात बताई। उसने राजा को पक्षी दिखाया और राजा एक ऐसे बिशेस पक्षी को देख कर बोहोत खुस हुआ जिसकी बून्द सोने में बदल जाता हे
उसने अपने नोकोर को बुलाया और कहा : इस पक्षी की उचित देखवाल करो , उसे एक संदर पिंजरे में रखो और भरपूर भोजन और पानी दो। सुनिचित करे की वह दूर नहीं हो वह महल का साही पक्षी होगा और अपनी बूंदो से मुझे कई दौलत देगा। अचानक राजा के मंत्रीओ में से एक राजा के पास पोहोच जाता हे।
"राजा जी एक पक्षी की बुँदे सोने में कैसे बदल सकती हे ये तो असंभव हे। आप इस rah चलते सीकरी पर कैसे भरोसा कर सकते हे जिसे कोई ज्ञान नहीं हे। में आप से अनुरोध करता हु की आप पिंजरे को खोले और पक्षी को दूर जाने दे। और इस सीकरी को ऐसी झूटी जानकारी देने के लिए दण्डित करे"।
राजा ने अपने बिस्वासोनियो और बुद्धिमान मंत्री के सब्दो पर बिचार किया और ये सच था।
" हां को पक्षी सोने की बुँदे कैसे दे सकती हे। मेने इसे अपने आखो से भी नहीं देखा। यह सीकरी सायेद बदले में पैसे चाहता हे"।
राजा ने पहरे डरो को शिकारी को गिरफ्तार करने और पक्षी को छोड़ने का आदेश दिए। जैसे ही पक्षी मुक्त हुआ वह उदाह कर पास के एक दरवाजे के शीर्ष पर बैठ गया। अचानक उसने अपनी बूंदो को गिराया जो सोने में बदल गयी। राजा और उनके मंत्रीओ सहित सभी ने देखा और चौक गए। राजा को पता था की उसने एक गलती की हे और तुरंत अपने पहरेदारो को पक्षी को पकड़ने का आदेश दिए। मगर बोहोत देर हो चुकी थी। सिन्धुका आकाश में ुधgya और उसने खुद को फिर दे लापरवाह न होने का बड़ा किआ। उसने दूसरे पहाड़ पर एक नए स्थान के लिए उड़ान भरी जहा koi भी उसे फिर से पकड़ ना पाए।
नैतिक ज्ञान : कुछ कितना भी असंभव लगे हमें उसकी पूरी तरह जाँच करनी चाहिए।
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Panchatantra Short Moral Stories in Hindi |
दुःख की बात यहाँ थी के जब शिकारी ने ऐसा सोचा तो सिन्धुका को उसके बारे में पता नहीं था। वे अपने पेड़ पर आराम कर रहा था और शिकारी योजना बना रहा था सीकरी ने पेड़ पर एक जाल बोहोत सावधानी से बिछा दिया। जब पक्षी ध्यान नहीं दे रहा था और अंता में जाल में फंस गया। जब पक्षी जल में फंस गया तो सीकरी ने उसे एक पिंजरे में दाल दिया। और घर की और जाने लगा।
उसी समय सिन्धुका ने सोचा की जाल पर ध्यान ना देने के लिए वह कितना लपरवाफ था और इसी कारन वह बेचारा पकड़ा गया। अपने घर जाते वक़्त सीकरी ने सोचा अगर में इस पक्षी को रखूँगा तो में आमिर बन जाऊंगा और सभी को संदेह होगा के कुछ तो गड़बड़ हे।
किसी दिन किसी को पक्षी की सच्चाई पता चलेगी और फिर वे राजा को पक्षी के बारे में बताएँगे फिर मुझे इसे राजा को देना होगा। लेकिन अगर में पक्षी को सीधे ही राजा के सामने पेश करदु तो वह मुझे इस पक्षी के बदले कुछ कीमती चीज देंगे यह मेरे लिए बेहतर काम करेगा। में अपना सेष जीवन राजा की दी हुई बस्तु की सहारे बिता सकता हु। योजना के अनुसार वह सीधा राजा के महल में गया. और राजा को सारि बात बताई। उसने राजा को पक्षी दिखाया और राजा एक ऐसे बिशेस पक्षी को देख कर बोहोत खुस हुआ जिसकी बून्द सोने में बदल जाता हे
उसने अपने नोकोर को बुलाया और कहा : इस पक्षी की उचित देखवाल करो , उसे एक संदर पिंजरे में रखो और भरपूर भोजन और पानी दो। सुनिचित करे की वह दूर नहीं हो वह महल का साही पक्षी होगा और अपनी बूंदो से मुझे कई दौलत देगा। अचानक राजा के मंत्रीओ में से एक राजा के पास पोहोच जाता हे।
"राजा जी एक पक्षी की बुँदे सोने में कैसे बदल सकती हे ये तो असंभव हे। आप इस rah चलते सीकरी पर कैसे भरोसा कर सकते हे जिसे कोई ज्ञान नहीं हे। में आप से अनुरोध करता हु की आप पिंजरे को खोले और पक्षी को दूर जाने दे। और इस सीकरी को ऐसी झूटी जानकारी देने के लिए दण्डित करे"।
राजा ने अपने बिस्वासोनियो और बुद्धिमान मंत्री के सब्दो पर बिचार किया और ये सच था।
" हां को पक्षी सोने की बुँदे कैसे दे सकती हे। मेने इसे अपने आखो से भी नहीं देखा। यह सीकरी सायेद बदले में पैसे चाहता हे"।
राजा ने पहरे डरो को शिकारी को गिरफ्तार करने और पक्षी को छोड़ने का आदेश दिए। जैसे ही पक्षी मुक्त हुआ वह उदाह कर पास के एक दरवाजे के शीर्ष पर बैठ गया। अचानक उसने अपनी बूंदो को गिराया जो सोने में बदल गयी। राजा और उनके मंत्रीओ सहित सभी ने देखा और चौक गए। राजा को पता था की उसने एक गलती की हे और तुरंत अपने पहरेदारो को पक्षी को पकड़ने का आदेश दिए। मगर बोहोत देर हो चुकी थी। सिन्धुका आकाश में ुधgya और उसने खुद को फिर दे लापरवाह न होने का बड़ा किआ। उसने दूसरे पहाड़ पर एक नए स्थान के लिए उड़ान भरी जहा koi भी उसे फिर से पकड़ ना पाए।
नैतिक ज्ञान : कुछ कितना भी असंभव लगे हमें उसकी पूरी तरह जाँच करनी चाहिए।
2 Comments
thanks bro
ReplyDeletevery nice post amazing
ReplyDeletethanku so much sharing this post